बादलों के आने पर प्रकृति में जिन गतिशील क्रियाओं को कवि ने चित्रित किया है, उन्हें लिखिए।

कवि सर्वेश्वर दयाल सक्सेना प्रस्तुत कविता ‘मेघ आये’ में मेघ या बादल के घिर आने पर प्रकृति में आये परिवर्तनों का बड़ी ही बारीकी से उल्लेख करते हैं। इस बारे में वे बादलों के आने की सूचना पूरवा हवाओ द्वारा देने की बात कहते हैं। ये ठंडी हवायें धूल को गोल-गोल घुमाती हैं जिससे ये आंधी का रूप ले लेती हैं। फिर गहरे नीले या कहें कि काले रंग के बादल बरसते हैं। पीपल एवं इसके जैसे अन्य पुराने पेड़ हिलने लगते हैं। पेड़ों से लिपटी लताएं छिपने लगती हैं। आकाश में दूर क्षितिज में बिजली चमकने लगती हैं। वर्षा की बूँदों से गर्मियों में सूख गये तालाब भर जाते हैं। नदी थोड़ी-थोड़ी ठिठक-ठिठक कर वर्षा की बूँदों से भरने लगती हैं। प्रकृति के ये सभी तत्व मिलकर बरसात के मौसम में हमारे सामने अद्भुत नजारा प्रस्तुत करते हैं।


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